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दावानल-संघर्षन

#दावानल हम यूँही मुस्कुराते हैं,तुम जलते क्यों हो खामखाँ ही इतना, मचलते क्यों हो जो इतना ही शौक है हमे गिराने का तो खुद हर कदम पर संभलते क्यों हो" "खुद को ही खोल लिया करो वीराने में  हमारी गली को ही निकलते क्यों हो ना हमारी तुम समझोगे, न तुम्हारी हम बेकार की डगर है, तुम चलते क्यों हो" "वक़्त गश्त पर रहता है,बारी सबकी आयेगी नाहक अहम की ज्योत में पिघलते क्यों हो सत्यनावेशी बने फिरते हो जनाब जब तो सत्य के विपरीत ही ढलते क्यों हो" हम तो यूँही मुस्कुराते हैं, जलते क्यों हो।

इंद्रजालइंद्रजाल

# तर्क_का_तर्क इस धरती पर मूलतः एक ही संसाधन है।वह है यह धरती।बाकि जितने भी ईजाद और जुगाड़ मानव सभ्यता ने किए हैं उन सबका आधार धरती ही है। जब वर्षा होती है तो यह धरती अपने आँचल में जल समेट लेती है।पेड़, पौधे, जंतु,पहाड़,समुन्दर,जड़ी बूटी,रत्न आदि सब का उद्गम स्थान ये पावन धरा ही है। विज्ञान का मूल सिद्धांत है कि- everything comes from something, from nothing only nothing comes. तो अगर यह धरती जीव और वनस्पतियों को धारण और पोषण करती है तो निश्चित ही यह स्वयं जीवंत है।कोई मृत वस्तु जीवन प्रदान नहीं कर सकती।प्रकृति धरती का आवरण है,उसका लिबास है।एक अणु से लेकर एक निहारिका तक सब जीवंत है।हाँ जीवन का अनुभव सबका भिन्न भिन्न होता है। अंग्रेजी में प्राकृतिक को नेचुरल या नार्मल कहा जाता है।यानि जिसका होना आपको तर्क संगत लगे।इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जीवन और मृत्यु।प्रतिपल असंख्य तारे टुटते बनते हैं,कितने ही जीव - वनस्पति हर क्षण पैदा हो रहें हैं और मर रहें हैं।हमारे शरीर में भी करोड़ो कोशिकाओं का निर्माण और विनाश होता रहता है। जब हम कहते हैं कि उक्त सभी चीजें प्राकृतिक है तो इसका अर्थ हुआ कि यह प्

सम्मोहनम

  हम_डाल_डाल_वो_पात_पात # GREAT_WORLD_CIRCUS # TRAGEDY_OF_THE_COMEDY "वैज्ञानिकों ने बंदरों पर एक शोध किया।चार बंदरों को एक बड़े कमरे में रख दिया गया जहाँ चारो ओर बांस और बल्लिया बंधी हुई थी।साथ ही वहां पर एक सीढ़ी थी जो कमरे के छत तक जाती थी।ठीक सीढ़ी के ऊपर एक केले का बड़ा गुच्छा बंधा हुआ था।एक बंदर की नज़र उन केलों पर पड़ी और वह लपक कर सीढ़ी पर चढ़ने लगा, तभी वैग्यानिक(छिपकर) बाकी तीन बंदरों के ऊपर ठन्डे पानी की बौछार कर देते। अब जैसे ही उस बन्दर ने दुबारा केला खाना चाहा, तो पानी के बौछार के डर से बाकी तीन बंदरों ने उस बंदर कि आम सहमति से कुटाई कर दी। केले को हाथ न लगाने का नियम ध्वनि मत से ही पारित हो गया। फिर वैज्ञानिकों ने उस समूह में से एक बंदर को बदल दिया।जो नया बन्दर आया उसने इधर-उधर कूद फाँद की।फिर वह एकलव्य के भांति अपने लक्ष्य(केले) की ओर लपका।तत्क्षण वरीय बंदरों ने उस अल्पज्ञानी को कूट दिया।बेचारा नया बन्दर समझ नहीं पाया कि आखिर ये चाहते क्या हैं।ना खुद केला खाते हैं और न उसे खाने देते हैं। बहरहाल वैज्ञानिकों ने बाकि तीन बंदरो को भी एक-एक करके बदल दिया।और बाकि तीनों